tag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post1730112686613460894..comments2022-11-19T04:46:44.946-08:00Comments on ताहम: आलोचना के अधूरे प्रतिमानताहम...http://www.blogger.com/profile/12469048298677439075noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post-9693570150892878182010-05-10T00:45:05.192-07:002010-05-10T00:45:05.192-07:00निशांत देर से टिप्पणी देने के लिये माफ़ी
आपका यह ...निशांत देर से टिप्पणी देने के लिये माफ़ी <br />आपका यह आलेख एक बेहद जटिल विषय पर है अत: एक संश्लिष्ट विश्लेष्ण की मांग करता है|<br />भारतीय पूजीवाद के विकास की प्रक्रिया दो तरफ से खुली नज़र आती है| यहाँ कामन प्रापर्टी रिसोर्स को प्रायवेट कैपिटल में तब्दील के प्रयास में रोड़ा -माओवादी और आदिवासी दोनों को बेदखल करने के लिए ग्रीन हंट और सलवा जुड़म है तो वँही सरकार नक्सलवाद का जबाव अपने तरह के पूंजीवादी विकास से भी दे रही है| जाहिर हैं इस विध्वंसक विकास आदिवासी को उनकी पहली वाली स्थिति तो मुक्त करता है पर ......पर यही संघर्ष की गुंजाईश भी बनती है पर ......इससे निपटने के लिए आवश्यक विचार और रणनीति मौजूदा संगठनो के पास नज़र नहीं आती है <br />विस्थापन , किसानो, पर्यावरण के संघर्ष तो एक समय बाद प्रतिक्रयावादी होने लगतें हैं .......यह भी विचार का संकट है...............MANOJhttps://www.blogger.com/profile/11379102055994442570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post-10963591468586410192010-05-08T09:41:22.494-07:002010-05-08T09:41:22.494-07:00"बिना सरकारी मदद के कोई भी आन्दोलन पनप ही नही..."बिना सरकारी मदद के कोई भी आन्दोलन पनप ही नहीं सकता । यह तो ठीक वैसा ही है कि पहले कोई सॉफ्ट्वेयर बना के पैसा कमाओ फिर उसके बाद वायरस बनाओ उसके बाद ऐण्टी वायरस बनाके उससे भी खूब सारा पैसा पैदा करो। अब नर्मदा को नाला बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है.."Amitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post-46651642994373233132010-05-07T08:01:26.324-07:002010-05-07T08:01:26.324-07:00बेहतर विचार विमर्श को प्रेरित करता विश्लेषण...
अशो...बेहतर विचार विमर्श को प्रेरित करता विश्लेषण...<br />अशोक जी कह ही गये हैं...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post-89616842646918162732010-05-07T01:29:48.896-07:002010-05-07T01:29:48.896-07:00तुम्हे बहुत मिस किया यार पिछले दिनों....इसी मुद्दे...तुम्हे बहुत मिस किया यार पिछले दिनों....इसी मुद्दे पर लम्बी चर्चा हुई थी <a href="http://chitthacharcha.blogspot.com/2010/04/blog-post_26.html" rel="nofollow">यहाँ </a> .कल ही इसी पर शायद हिन्दुतान में एक लेख पढ़ रहा था .के क्यूँकर एक आदमी जो क्रांति से शुरुआत करता है आत्म हत्या की ओर विमुख होता है .......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post-66810517969272005522010-05-06T21:47:54.743-07:002010-05-06T21:47:54.743-07:00सही लिखा आपने ........सही लिखा आपने ........सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2176770035485299912.post-90554504566905630592010-05-06T20:37:51.970-07:002010-05-06T20:37:51.970-07:00तुम्हारी मूल स्थापनाओं से मेरी सहमति है। नक्सलवादी...तुम्हारी मूल स्थापनाओं से मेरी सहमति है। नक्सलवादी आंदोलन की यह धारा आतंकवादी भटकाव का शिकार हो चुकी है। साथ ही स्टेट का चरित्र भी लगातार और ज़्यादा पूंजीपतियों के हितों के रक्षक का और इसके चलते रिप्रेसिव हुआ है जिसने हिंसा के लिये आधार उपलब्ध कराये हैं। ऐसे माहौल में वाम शासित किसी राज में नंदीग्राम का होना बेहद शर्मनाक था और यह साबित करने वाला कि संसदीय वाम भी सत्ताधारी वर्ग में शुमार हो चुका है। लेकिन मीडिया ने एक नंदीग्राम की आड़ में सैकड़ों श्रीगंगानगर,उड़ीसा, जबलपुर, नर्मदा, नवी मुम्बई आदि बड़ी चतुराई से छिपा कर अपने मालिक़ान की सेवा की। <br /><br />चाहो तो नंदीग्राम पर मेरा आलेख देखना।http://economyinmyview.blogspot.com/search/label/%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AEAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.com